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विपक्ष का पाखंड और कुत्र रुदन।

हे मित्रों श्रीमद्भागवत में लीलाधर परमयोगी श्रीकृष्ण ने पाखंडी प्रवृति को समझाते हुए कहा कि हे अर्जुन सुनो :-द्वितीय अध्याय “कर्मयोग” श्लोक ६कर्मेन्द्रियाणि संयम्य य